सही मायनों में जैविक खेती में मिट्टी परीक्षण में केवल जैविक/ ऑर्गेनिक कार्बन तथा पी.एच. मान (अम्ल क्षार तुल्यांक) महत्वपूर्ण है जो भूमि की सजीवता अर्थात उर्वरता का आधार है। वैज्ञानिक इस तथ्य को मानते है कि भूमि उर्वरता का आधार जीवांश पदार्थ ही हैं। मृदा वैज्ञानिकों ने इसे भूमि की आत्मा माना है। जैविक कार्बन का परीक्षण नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटॉश या अन्य तत्वों की तुलना में ज्यादा महत्वपूर्ण है। अच्छी मिट्टी का जैविक कार्बन 0.5 प्रतिशत से अधिक होना चाहिए तथा पी.एच. मान 6.5 से 7.5 के मध्य होना चाहिए।

वर्तमान में प्रचलित मिट्टी परीक्षण में वैज्ञानिक आमतौर पर जैविक कार्बन, पी.एच, उपलब्ध नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटॉश तथा विद्युत वाहकता की जांच करते है। खर्चीला होने की वजह से आमतौर पर सूक्ष्ममात्रिक तत्वों (माइक्रोन्यूट्रिएंट) परीक्षण नहीं किया जाता है। मिट्टी में उपस्थित सूक्ष्मजीव परीक्षण की सुविधा वर्तमान में आम किसानों के लिए बहुत कम जगह उपलब्ध है।


0 Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *