सड़े हुए गोबर खाद मे ट्राइकोडर्मा की तैयारी :-

50-70 किलोग्राम सड़े हुए गोबर के खाद या कोंपोस्ट मे 1 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर मिला दीजिये। इस मिश्रण को किसी छायादार जगह या पेड़ के नीचे एक गीले बोरे से ढ़क दीजिये ताकि इसमे एक सप्ताह तक नमी बना रहे । प्रतिदिन इसके ऊपर नजर बनाए रखें। अगर इसमे नमी Read more…

ट्राइकोडर्मा के फायदें :-

ट्राइकोडर्मा हमारे फसल को मृदा जनित और बीज जनित रोगो से बचाता है । यह रोगकारक सूक्ष्म जीवों की वृद्धि को रोकता है एवं उन्हे मारकर पौधों को रोगो से बचाता है । यह पौधों मे अंटिओक्सीडेंट गतिविधियों को बढ़ाने मे मदद करता है। यह मिट्टी मे कार्बनिक पदार्थों के Read more…

ट्राइकोडर्मा का प्रयोग क्यों करें :-

आज-कल हमलोग खेतों मे उत्पादन की पैदावार को बढ़ाने के चक्कर मे काफी ज्यादा मात्रा मे रासायनिक खादों का उपयोग करते हैं ,जिसके कारण हमारी खेतों की उर्वरक शक्ति काफी ज्यादा मात्रा मे कम हो गयी है। इसके अलावा खेतों से उपजानेवाले फसलों मे कुछ ऐसे बीमारियाँ से ग्रसित है Read more…

ट्राइकोडर्मा कैसे काम करता है :-

ट्राइकोडर्मा मिट्टी मे जाने के बाद अपने कवको को एक जाल के जैसे फैला देता है एवं पौधे के जड़ों के क्षेत्र मे कवक का जाल बना देता है । इसके कारण मिट्टी मे उपस्थित अन्य हानिकारक कवक और बैक्टीरिया को अपने वंश को बढ़ाने से रोकता है, एवं यह Read more…

ट्राइकोडर्मा:-

ट्राइकोडर्मा एक मृतजीवी कवक है , जो मिट्टी और कार्बनिक अवशेषों पर पाया जाता है । यह एक जैव-फफूंदनाशी है एवं विभिन प्रकार की कवकजनित बीमारियों से पौधे को बचाने मे मदद करता है। इसकी दो प्रजातियाँ होती है :- 1. ट्राइकोडर्मा विरिडी 2.ट्राइकोडर्मा हर्जियानम मृदा उपचार के प्रक्रिया मे Read more…

भूमि शोधन

भूमि शोधन फसल में आने वाली भूमि जनित बीमारी और कीटो से बचाव के लिए किया जाता है । यह जैविक और रासायनिक खेती करने वाले दोनों लोगो के लिए लाभकारी है। क्योकि भूमि जनित रोग दोनों तरह की खेती में आते है । लेकिन जैविक खेती करने वालो का Read more…