दलहन प्रदूषण : –

अरहर, मूंग, उरद और चना ये दलहन फसलें हमारे आहार का हिस्सा होती है। इनके उत्पादन में उर्वरकों की तुलना में कीटनाशियों का उपयोग अधिक होता है, जिससे दलहन में भी कीटनाशक के अवशेष आ जाते हैं। इसी तरह बाजार में मिलने वाली पॉलिश की गयी दालों की पोषकता कम Read more…

अन्न प्रदूषण : –

मित्रों, आज हमारे आहार का बड़ा भाग चावल और गेहूँ का होता है। अनाजों में विशेषक धान की खेती में बहुत अधिक रसायनों (उर्वरक, कीट/रोग/चारानाशी) का उपयोग किया जाता है। आज देश से बासमती का निर्यात जहरीले रसायनों के अवशेष मिलने से प्रभावित हो रहा है। गेहूँ में उर्वरकों/ खरपतवारनाशी Read more…

फल प्रदूषण : –

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आज देश में व्यावसायिक खेती के चक्र में आम, अंगूर, अनार, तरबूज, केला, सेवफल आदि फलों के उत्पादन में बहुत अधिक जहरीले रसायनों (उर्वरकों, कीटनाशी, फफुन्दनाशी) का उपयोग किया जा रहा है। उत्पादन के अलावा फलों को अप्राकृतिक तरीके से पकाने के लिए कार्बाइड आदि Read more…

दूध प्रदूषण : –

भारत सरकार ने स्वयं माना है कि देश में मिलने वाला 62 प्रतिशत दूध नकली है। ये नकली दूध यूरिया, पशु चर्बी आदि के द्वारा गैरकानूनी तरीके से बनाया जाता है। दुग्ध उत्पादन में आज भी कई उत्पादक प्रतिबंधित ऑक्सीटोसिन हार्मोन का उपयोग करते हैं। पशुओं के उपचार में अनेक Read more…

जल प्रदूषण : –

रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से भूजल, पानी में नाइट्रेट, भारी तत्व जैसे लेड, कैडमियम, आर्सेनिक का स्तर बढ़ जाता है। नाइट्रेट मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है। इसे ब्लू बेबी रोग, कैंसर रोग का कारक माना गया है। इसी प्रकार कीटनाशक भी सिंचाई जल पीने के पानी में मिल Read more…

चाय प्रदूषण : –

हमारे सुबह की शुरूआत चाय की चुस्कियों से होती है। पर क्या आप जानते हैं कि चाय के बागानों में अनेक प्रकार के कीट व रोगनाशकों का उपयोग किया जाता है। वर्ष 2014 में एक स्वयं सेवी संस्था ने देश में बिकने वाले ब्रांडेड चाय के 49 नमूनों की जांच Read more…

रेशेदार फसल प्रबंधन : –

कपास में सुबह का ओसकाल निकलने के बाद चुनाई करने पर नमी रहित कपास मिलेगा। चुनाई करते समय सावधानी रखें कि पत्ती या अन्य कचरा नहीं आ सके। पूर्ण रूप से विकसित डेंडुओं की चुनाई करें चुनाई करते समय सिर पर कपड़ा बांधना चाहिए। चुनाई करते समय और करने के Read more…

फल एवं सब्जियां प्रबंधन : –

सब्जियों एवं फलों की समय पर तुडाई करें अन्यथा वे कड़क एवं बेस्वाद और बदरंगी (दिखने में खराब) हो जाते हैं। इसकी तुड़ाई सुबह या शाम के समय कर। तुड़ाई हेतु कुशल मजदुर होने चाहिए। तुड़ाई के समय कोई कट ना लगे, अन्यथा कीट/फफूंद प्रकोप और हानिकारक पदार्थ एफ्लोटॉक्सिन का Read more…

खलियाँ : –

बीजों से तेल निकालने के बाद बचा ‘भाग, खली कहलाता है। ये खलियां भी जैविक पौध पोषण में सहयोगी होती हैं। खलियों में नाइट्रोजन के अलावा कुछ मात्रा में फॉस्फोरस और पोटॉश भी होता है। इनके जड़ क्षेत्र में उपयोग से मित्र जीवाणु संख्या बढ़ती है। इन्हें 200 किलो प्रति Read more…

भेड़ अथवा बकरी लेंडी की खाद : –

औसतन इस खाद में 3 प्रतिशत नाइट्रोजन, 1 प्रतिशत फॉस्फोरस एवं 2 प्रतिशत पोटॉश की मात्रा होती है। पके खाद को चूरा कर बोनी के समय देने पर अथवा पौधे के पास देने से उत्तम परिणाम मिलते है। फसल की आवश्यकता अनुसार इसे 1-3 टन प्रति एकड़ में दिया जा Read more…