जैविक खेती :-

जैविक खेती, कृषि की एक ऐसी विधि है जिसके अंतर्गत संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों का उपयोग निम्नतम किया जाता है। जिसके परिणामस्वरूप भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहती है। इस कृषि में फ़सल चक्र, हरी खाद, कंपोस्ट आदि का प्रयोग किया जाता है।”प्राचीन काल में मनुष्य के स्वास्थ्य के अनुकूल तथा प्रकृति के Read more…

ट्राइकोडर्मा के प्रयोग मे सावधानियाँ :-

ट्राइकोडर्मा कल्चर की समय सीमा एक साल का होता है इसलिए ख़रीदारी के समय यह ध्यान रखिए । ट्राइकोडर्मा के गुणन के लिए प्रायप्त नमी होना बहुत ज्यादा जरूरी होता है । ट्राइकोडर्मा कल्चर का उपयोग करते समय किसी भी प्रकार का रासायनिक या कवकनाशी रसायनों का उपयोग कदापि न Read more…

मेटाराइजियम का उपयोग छिड़काव में :-

 मेटाराइजियम एनीसोप्ली का प्रयोग ना सिर्फ मिट्टी के उपचार मे बल्कि विभिन्न उपर्युक्त कीटों की रोकथाम के लिए भी किया जाता है | इन कीटों से बचाव के लिए मेटाराइजियम एनीसोप्ली खड़ी फसल में प्रयोग किया जाता है | इसके लिए 10 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर खड़ी Read more…

मेटाराइजियम की क्रियाविधि :-

जब मेटाराइजियम एनीसोप्ली के बीजाणु जैसे ही कीट के संपर्क में आते हैं, तो उनके आवरण से चिपक जाते हैं एवं एक उचित तापमान और आर्द्धता होने पर बीजाणु अंकुरित हो जाते हैं| इनकी अंकुरण नलिका कीटों के श्वसन छिद्रों (स्पायरेक्लिस), संवेदी अंगों और अन्य कोमल भागों से कीटों के Read more…

मेटाराइजियम:-

मेटाराइजियम एनिसोप्ली फफूंद पर आधारित जैविक कीटनाशक है| मेटाराइजियम एनिसोप्ली 1 प्रतिशत डब्लू पी और 1.15 प्रतिशत डब्लू पी के फार्मुलेशन में उपलब्ध है| मेटाराइजियम एनिसोप्ली, को पहले एंटोमोफ्थोरा एनीसोप्ली कहा जाता था| यह मिट्टी में स्वतंत्र रूप से पाया जाता है एवं यह सामान्यतयः कीटों में परजीवी के रूप Read more…

ट्राइकोडर्मा के फायदें :-

ट्राइकोडर्मा हमारे फसल को मृदा जनित और बीज जनित रोगो से बचाता है । यह रोगकारक सूक्ष्म जीवों की वृद्धि को रोकता है एवं उन्हे मारकर पौधों को रोगो से बचाता है । यह पौधों मे अंटिओक्सीडेंट गतिविधियों को बढ़ाने मे मदद करता है। यह मिट्टी मे कार्बनिक पदार्थों के Read more…

ट्राइकोडर्मा का प्रयोग क्यों करें :-

आज-कल हमलोग खेतों मे उत्पादन की पैदावार को बढ़ाने के चक्कर मे काफी ज्यादा मात्रा मे रासायनिक खादों का उपयोग करते हैं ,जिसके कारण हमारी खेतों की उर्वरक शक्ति काफी ज्यादा मात्रा मे कम हो गयी है। इसके अलावा खेतों से उपजानेवाले फसलों मे कुछ ऐसे बीमारियाँ से ग्रसित है Read more…

ट्राइकोडर्मा कैसे काम करता है :-

ट्राइकोडर्मा मिट्टी मे जाने के बाद अपने कवको को एक जाल के जैसे फैला देता है एवं पौधे के जड़ों के क्षेत्र मे कवक का जाल बना देता है । इसके कारण मिट्टी मे उपस्थित अन्य हानिकारक कवक और बैक्टीरिया को अपने वंश को बढ़ाने से रोकता है, एवं यह Read more…

ट्राइकोडर्मा:-

ट्राइकोडर्मा एक मृतजीवी कवक है , जो मिट्टी और कार्बनिक अवशेषों पर पाया जाता है । यह एक जैव-फफूंदनाशी है एवं विभिन प्रकार की कवकजनित बीमारियों से पौधे को बचाने मे मदद करता है। इसकी दो प्रजातियाँ होती है :- 1. ट्राइकोडर्मा विरिडी 2.ट्राइकोडर्मा हर्जियानम मृदा उपचार के प्रक्रिया मे Read more…

कैसे लगाएँ ग्रीन हाउस

एक अछे ग्रीन हाउस के लिए 4000 वर्ग मीटर की जगह  प्रायप्त है । क्यूकि ऐसे ग्रीन हाउस मे हवा का प्रवाह ठीक रहता है । तापमान, अद्रता इत्यादि को नियंत्रित करना आसान होता है । उत्पाद की मात्रा और गुणवत्ता भी अछी रहती है जिससे मार्केटिंग करने मे भी Read more…