वृक्ष चिंतन:-

किसान मित्रों, वृक्ष प्रकृति के सहअस्तित्व के घटकों में महत्वपूर्ण घटक है। इसके बारे में हमारे प्राचीन ग्रंथ अथर्ववेद के पृथ्वीसूक्त में कहा गया है कि वृक्ष और वनसपति, मनुष्यों कि तरह ही पृथ्वी का पुत्र हैं। हमारे देश मे वृक्षों कि पूजा प्राचीनकाल से ही की जा रही है। Read more…

प्राकृतिक खेती:-

देश में आज अनेक स्थानों पर किसानों की आत्म हत्या का समाचार सुनने को, पढ़ने को मिलता है। इसके पीछे कारण किसान का कर्ज में डूबना है। कर्ज का कारण हमारी खेती में ट्रेक्टर, डीजल, बीज, खाद आदि बाजार से खरीद कर लाना। इस प्रकार खेती पर लागत अधिक लगाना Read more…

फलों का रोग एवं कीट निदान : –

केला में एन्थ्रेकनोज :- इस रोग से फल सिकुड़कर सूख जाता है। आम तथा बेर में एन्थ्रेकनोज :- यह रोग नव पल्लवों, पुष्पों को प्रभावित करता है। इससे प्रभावित टहनियाँ सूखने लगती हैं। पाउडरी मिल्ड्यू या सफेद चूर्णी रोग :- इसकी रोकथाम के लिए आधा लीटर दुध को 16 लीटर Read more…

फसलों के प्रमूख कीट:-

दीमक :- सुखी जमीन पर अधिक प्रकोप दिखता, तथा जडों को नुकसान पहुंचाते हैं। वृक्षों के तनों पर बोर्डों पेस्ट लगाने से इसका नियंत्रण होता है। खेत में जैविक कार्बन अधिक हो तो इसका प्रकोप कम होता है मेटरिजियम, बेवेरिया बेसियाना दीमक को नियंत्रण मे रखते हैं। यह भी प्राकृतिक Read more…

हरा चारा, मेढ़ के वृक्ष:-

सुबबूल (ल्यूसिना) :-यह एक सस्ता एवं गाय के लिए एक स्वादिष्ट चारा है। जब पौधे 1.5 मीटर के हो जाएँ तो जमीन से 30 सेमी छोड़कर चारा काट लिया जाता हैं। सहजन / मुनगा / सुरजन :-  यह मनुष्य, पशु, पौधे तीनों के लिए ही अत्यंत लाभकारी वृक्ष है। गाय Read more…

जैविक खेती मे खाद-प्रबंधन:-

कुनापजल, अमृत जल, जीवामृत, सजीव जल, सस्यगव्य मे से कोई एक का चुनाव करना है। सजीव जल, जीवामृत, सस्यगव्य और कुनापजल को प्रयोग मे लाने से, फसल वृदिक बनाने की आवश्क्ता नहीं। परंतु अमृत जल प्रयोग मे लाने से प्रोटीन (ऐमीनो एसिड) की व्यवस्था करनी पड़ेगी । अमृत जल सबसे Read more…

सही फसल का चुनाव करें:-

किसान भाइयों, जैसा कि आप सभी जानते हैं, एक व्यापारी जब अपना व्यवसाय शुरू करता है, तो व्यवसाय शुरू करने से पहले वह काफी सोच-विचार कर व्यापार में कदम रखता है। तो आप क्यों नहीं कर सकते? इसी तरह आपको भी बाजार की डिमांड के अनुसार फसल चुनने की आवश्यकता Read more…

मिश्रित खेती के लाभ :-

जब एक ही समय में एक ही खेत पर कई फसलें एक साथ बोई तथा उगायी जाती हैं इसे मिश्रित खेती कहते हैं| मिश्रित खेती विभिन्न पौधों के संरक्षण में मददगार होती इससे मिट्टी के स्वास्थ्य/गुणवत्ता में सुधार होता है| कुल मिलाकर उत्पादकता भी बढ़ती है| मिश्रित खेती फसल की Read more…

केंचुआ किसान का मित्र क्यों?

जैविक खेती में पोषक तत्वों को उपलब्ध कराने तथा मिट्टी को भुरभुरी बनाकर, हवा का संवहन बढ़ाने में केंचुआ का महत्वपूर्ण योगदान होता है| मुख्यतः केंचुओं को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है जैविक कचरा खाने वाले तथा मिट्टी खानेवाले| वर्मीकम्पोस्ट बनाने हेतु जैविक कचरा खाने वाले केंचुआ का Read more…