बीजोपचार ( बीजामृत से बीज का टीकाकरण) : –

आवश्यक सामग्री :- 1 लीटर गोमूत्र, 1 किलो गाय या बैल या ताजा गोबर, 250 मिली लीटर दूध, 25 ग्राम कली का चूना, आधा किलो मेड़ पर की मिट्टी, 5 लीटर पानी। बनाने की विधि :- इन सभी सामग्री को किसी पुराने मटके में मिलाकर, मटके को मिट्टी के ढक्कन Read more…

जैविक आहार का महत्व : –

अनेक अनुसंधानों से यह अब स्पष्ट हो गया है कि जैविक कृषि पद्धति से उत्पादित खाद्यान्न, सब्जी, फल, दूध अनाज रासायनिक पद्धति से उत्पादित अनाज से गुणवत्ता में दो प्रकार से बेहतर होता है : पहला जैविक पद्धति से उत्पादित खधान्न, सब्जी, फल इत्यादि की पोषण गुणवता, रासायनिक विधि के Read more…

कृषि विष श्रृंखला : –

ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र के सर्वे पर हमने यह जाना की भौतिक विकास की दौड़ में खान पान के विषय पर जागरूकता अत्यंत कम हो गयी है। ग्रामीण समाज में किसी भी परिवार से पूछो, कि रोज आपका भोजन क्या है तो पता चलता है कि मुख्य आहार रोटी, बाटी Read more…

केंचुआ खाद : –

केंचुआ किसानों का मित्र तथा भूमि का आंत कहा जाता हैं। यह जैविक पदार्थ, ह्यूमस व मिट्टी को एकसार करके जमीन के अंदर अन्य परतों में फैलता है। जिससे जमीन पोली होती है व हवा का आगमन बढ़ जाता है तथा जल धारण की क्षमता भी बढ़ जाता है। केंचुआ Read more…

फसलों का परागण : –  

स्वपरागित फसलें :- जब किसी पौधे को एक फूल के पुंकेसर उसी पौधे के फूल के स्त्रीकेसर को निषेचित करते हैं तो यह स्व परागण कहलाता हैं। जैसे :- गेहूँ, चावल, चना, मूंग, उर्द, अरहर, भिण्डी, बैंगन, मिर्च, तिल, अलसी आदि। परपरागित फसलें :- जब किसी पौधे के एक फूल Read more…

जैविक प्रमाणीकरण : –

जैविक कृषि का महत्व विश्वस्तर पर तीव्र गति से बढ़ रहा है। जैसे–जैसे उपभोक्ता की और से जैविक उत्पादों की मांग बढ़ती जा रही है। वैसे–वैसे जैविक उत्पादों की विश्वनीयता पर भी प्रश्न किये जा रहे हैं। विदेशों में जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग को देखते हुए हमारे देश में Read more…

पादप शरीर चिंतन : –

पौधों के शारीरिक अवयवों के बारे में सामान्य जानकारी : – जड़ :- पौधे का वह भाग जो मुलांकर से विकसित होकर भूमि के अंदर प्रकाश के विपरीत बढ़ता है, जड़ कहलाता है। यह मिट्टी को बाँधने का कार्य करती है साथ ही पोषक तत्वों एवं जल को भूमि से Read more…

किसान समूह : –

हमारा देश गाँवों में बसता हैं। आज अधिकांश गाँवों में युवा शक्ति के सद्कार्य के लिए संगठन का अभाव होने से प्रतिकूल परिणाम दिखाई पड़ रहे हैं। अधिकांश गाँवों में उमंग और उत्साह कम हो गये है। देश अधिकतर युवा शक्ति व्यर्थ जा रही है। आज आवश्यकता है ग्रामीण युवा Read more…

बीज चिंतन: –

बीज एक ऐसा पादप भाग है जिसका उपयोग बोने के लिए किया जाता हैं, जिसमें उस पादप की संतति तैयार होती है बीज कहलाता हैं। पुरानी कहावत है जैसा बोवोगे, वैसा काटोगे।   स्वस्थ बीज – स्वस्थ वनस्पति – स्वस्थ वातावरण – स्वस्थ जीव जगत प्राचीन काल में किसान चयन Read more…

पशुपालन चिंतन: –

पशुओं और मनुष्यों का साथ आज से लगभग 12 से 14 हजार वर्ष पूर्व शुरू हुआ। इस काल में श्वान, भेड़, बकरी और शुकर पालन के प्रमाण मिलते हैं। 5 से 6 हजार वर्ष पूर्व घोड़ों/गधों का उपयोग माँस और परिवहन के लिए किया जाने लगा। इसी समय भारत और Read more…