मेटाराइजियम की क्रियाविधि :-

जब मेटाराइजियम एनीसोप्ली के बीजाणु जैसे ही कीट के संपर्क में आते हैं, तो उनके आवरण से चिपक जाते हैं एवं एक उचित तापमान और आर्द्धता होने पर बीजाणु अंकुरित हो जाते हैं| इनकी अंकुरण नलिका कीटों के श्वसन छिद्रों (स्पायरेक्लिस), संवेदी अंगों और अन्य कोमल भागों से कीटों के Read more…

मेटाराइजियम:-

मेटाराइजियम एनिसोप्ली फफूंद पर आधारित जैविक कीटनाशक है| मेटाराइजियम एनिसोप्ली 1 प्रतिशत डब्लू पी और 1.15 प्रतिशत डब्लू पी के फार्मुलेशन में उपलब्ध है| मेटाराइजियम एनिसोप्ली, को पहले एंटोमोफ्थोरा एनीसोप्ली कहा जाता था| यह मिट्टी में स्वतंत्र रूप से पाया जाता है एवं यह सामान्यतयः कीटों में परजीवी के रूप Read more…

ट्राइकोडर्मा का प्रयोग क्यों करें :-

आज-कल हमलोग खेतों मे उत्पादन की पैदावार को बढ़ाने के चक्कर मे काफी ज्यादा मात्रा मे रासायनिक खादों का उपयोग करते हैं ,जिसके कारण हमारी खेतों की उर्वरक शक्ति काफी ज्यादा मात्रा मे कम हो गयी है। इसके अलावा खेतों से उपजानेवाले फसलों मे कुछ ऐसे बीमारियाँ से ग्रसित है Read more…

ट्राइकोडर्मा कैसे काम करता है :-

ट्राइकोडर्मा मिट्टी मे जाने के बाद अपने कवको को एक जाल के जैसे फैला देता है एवं पौधे के जड़ों के क्षेत्र मे कवक का जाल बना देता है । इसके कारण मिट्टी मे उपस्थित अन्य हानिकारक कवक और बैक्टीरिया को अपने वंश को बढ़ाने से रोकता है, एवं यह Read more…