प्रोटोजोआ :- यह एककोशिकीय सूक्ष्मदर्शी जीव जड़ क्षेत्र में पाए जाते हैं। यह नाइट्रोजन और अन्य तत्व उपलब्ध कराते है।
फफूंद :- यह बहुकोशीय और इनमें कवक जल तंतु युक्त, पर्णहरित हिन एवं बीजाणु बनाने वाले मृतजीवी, परजीवी, सहजीवी जीव है। यह अपना भोजन जीवित और मृत दोनों से प्राप्त करते हैं।
ऐक्टिनोमाइसिटीज़ :- यह एककोशिकीय होते है। यह मुख्य रूप से गोबर खाद में, चावल, मूंगफली की भूसी में, कार्बन पदार्थ वाले मिट्टी में, कीचड़ में, पौधे की सतह पर मिलते है। यह मृत जीवों पर जिन्दा रहते है।
जीवाणु :- यह एककोशिकीय सूक्ष्मदर्शीय जीव होते है। यह मिट्टी, हवा, पानी और ठोस वस्तुओं पर रहते है। यह लम्बे, गोल या छड़नुमा आकार के होते हैं। यह बिना पानी के अनेक वर्ष तक जिन्दा रह सकते हैं। अपने पोषण के लिए यह कार्बनिक पदार्थों पर निर्भर रहते है काड़ी कचरे को पोषक तत्वों में बदलते हैं।]
माइकोराइजा :- यह पौधे के जड़ों के अंदर और बाहर सहजीवी रूप में रहती हैं। धान, बाजरा, ज्वार, गन्ना, रागी, मक्का, सूर्यमुखी की जड़ों के पास इनका सबसे ज्यादा सहजीवन होता है। यह पौधों में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम जैसे तत्वों की उपलब्ध्ता बढ़ाते हैं।
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