खेती चाहे रासायनिक हो या जैविक कुछ समस्याएँ एक जैसी होती हैं, ऐसी ही एक समस्या है जो मिट्टी से जुड़ी हुई है। दीमक, गींडार (व्हाइट ग्रब), निमोटोड और भी अन्य मृदा जनित रोग जिससे किसान परेशान होते हैं और कई बार पूरी फसल बर्बाद भी हो जाती है।

White grubs burrowing into the soil. The larva of a chafer beetle, sometimes known as the May beetle, June bug or June Beetle.

रासायनिक खेती करने वाले किसान कई तरह के फफूंदनाशक दवाइयाँ मिट्टी उपचार के लिए प्रयोग करते हैं पर उसका कोई ठोस समाधान नहीं मिलता, यही नहीं ये फफूंदनाशक धीरे-धीरे रिसकर मिट्टी के नीचे चले जाते हैं और भूजल को दूषित करते हैं और यही प्रदूषण कैंसर जैसी बीमारियों का भी कारण बनते जा रहा है।

रासायनिक कीटनाशक

रासायनिक खेती से सिर्फ अनाज, फल या सब्जी हीं जहरीली नहीं होती, इससे मिट्टी, पानी और हवा भी जहरीली होती चली जाती है। धीरे-धीरे गंभीर बीमारियों के रूप में इसका असर दिखना शुरू हो जाता है।

आजकल चरणबद्ध तरीके से काम करने वाले रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है। लंबे समय तक इसके प्रयोग से कीटों में म्यूटेशन देखेने मिलने लगा है। कीट अपने DNA में बदलाव कर रहे हैं जिसका परिणाम यह हो रहा है की जो कीटनाशक पहले इन कीटों को मार देते थे अब उनपर कुछ खास असर नहीं दिखा पा रहा है।

कैंसर जैसी ख़तरनाक बीमारियों से बचने का यही उपाय है की अपने भोजन को सुधारें।

स्वस्थ रहें, सुखी रहें ॥


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