कई रोग बीज के कारण ही फैलते हैं जैसे गेहूं से कंदुआ रोग, इसी प्रकार कई बार बीजों को कीटों द्वारा क्षति हो जाती है। खरपतवार के बीज भी फसल के बीज के साथ मिले होते है। इन सभी तरह के बीजों को हाथ से चुनकर अलग करना सर्वोत्तम उपाय है। एक अन्य सरल प्रभावकारी उपाय के रूप में 20% नमक के पानी (10 लीटर पानी + 2 किलो नमक) में बीज को डालने पर रोग-कीट युक्त बीज एवं कई खरपतवार के बीच सतह पर आ जाते हैं इन्हें अलग कर नीचे के अच्छे-अच्छे बीजों को कई बार पानी से धोकर हल्का सुखाने पर बुवाई के लिये काम में ले सकते हैं । बुवाई के बाद रोग-कीट का पौध अवस्था में कम प्रकोप हो इसके लिये दो उपाय करने होते हैं ।
- 10% गौमूत्र (10 लीटर पानी +1 लीटर गौमूत्र) में बीज को आवरण की कठोरता के अनुसार 20 मिनिट से 2 घंटे तक भिगोकर हल्का सुखाना ।
- हल्का सूखने पर ट्राइकोडर्मा मित्र फफूँद के पाउडर का 6 से 8 ग्राम 1 किलो बीज के साथ मिश्रित कर बुवाई करना ।इस प्रकार बुवाई करने से अतियों में जहमलन रोग, दीमक व सफेद लट से बहुत कम होता है। ध्यान रहे भीगे बीज की हाथ से बुवाई ही संभव है सीब दिल में इसके या पिसने की संभावना रहती है।
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