बीज एक ऐसा पादप भाग है जिसका उपयोग बोने के लिए किया जाता हैं, जिसमें उस पादप की संतति तैयार होती है बीज कहलाता हैं। पुरानी कहावत है जैसा बोवोगे, वैसा काटोगे।  

स्वस्थ बीज – स्वस्थ वनस्पति – स्वस्थ वातावरण – स्वस्थ जीव जगत

प्राचीन काल में किसान चयन प्रक्रिया से स्वयं का बीज बनाकर रख लेते थे, खेत में अच्छे भुट्टे, बाली, फली, फल चुनकर उन्हें बीज के लिए सुरक्षित रखा जाता था। नवरात्र में गेहूँ के जवारे उगाकर देखा जाता था जिसके जवारे स्वस्थ और अच्छे उगते थे, उस बीज को खेती के लिए उपयोग में लिया जाता था।

वर्तमान समय में किसान प्रतिवर्ष बाजार से, उत्पादन के लालच में महंगे संकर/ बी.टी. बीज खरीदकर बोते हैं। कई बार देखा गया की इन बीजों के फेल होने पर किसान परेशान होता है, और कम्पनिया अपने बचने का रास्ता खोज ही लेती है।

सही बीज, सही समय पर सही दाम में मिल जाये तो फसलोंत्पादन में आशातीत सफलता प्राप्त की जा सकती हैं। किसान यदि स्वयं हेतु उन्नत बीज तैयार करें तो यह कार्य आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम होगा।


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