Description
Benefits of Mahaguru
- Mahaguru fattens the soil, which leads to more growth of roots.
- Mahaguru increases the fertility of soil.
- Mahaguru increases seed germination capacity and also protects plants from adverse environment.
- Mahaguru develops the tertiary roots of the plant to increase the absorption of nutrients from the ground.
- Mahaguru accelerates the process of photosynthesis, which leads to greenness in the plant and growth of branches.
- Increases the metabolic functions of the plant.
- Mahaguru grows flowers and fruits in the plant.
- Yields also increase.
By controlling the metabolism in the plant, more flowers are produced, the flowers do not fall, the fruits are of high quality, their weight and size are good and the yield is high.
Quantity: 500 grams per acre should be used for common field crops. Using Mahaguru 2 times in the life cycle of crops has seen a greater increase in yield.
Uses of Mahaguru: Can be used in all types of vegetables, for wheat, maize, soybean, gram, paddy, allu, chillies, tomatoes, onions, tobacco, mustard, peanuts, mint, sugarcane and all kinds of crops.
Use method: 500 grams per acre can be mixed with any manure for land treatment. For seed treatment, take 2 to 2.5 grams of 25 to 50 grams of Mahaguru, mix it in water, now apply it on one kg of seed and dry the seeds in the shade and lose it on the same day. For spraying, apply 2-3 sprays at an interval of 15 to 20 days after germination, 20-25 days after germination, after mixing with 1 to 2 grams per liter of Mahaguru.
महागुरु फसलों की गुणवत्ता और पैदावार की मात्रा इस प्रकार बढ़ाता है।
- अंकुरण का प्रतिशत बढ़ाकर और अंकुरित बीजों का क्षरण रोक कर।
- जड़ों की लंबाई का फैलाव बढ़ाकर।
- जड़ों के सुधार से पौधा ज्यादा सूक्ष्म तत्वों को अवशोसित करता है।
- जड़ों के सूखने या गलने की समस्याओं को रोक देता है।
- पौधे का वानस्पतिक उत्पादन बढ़ाता है।
पौधे में चयापाचय नियंत्रित करके ज्यादा फूलों का निर्माण होता है फुल गिरते नहीं हैं, फल उच्च गुणवत्ता के आते हैं उनका वजन और आकार प्रकार अच्छा होने ये यील्ड ज्यादा आती है।
मात्रा: सामान्य क्षेत्र की फसलों के लिए 500 ग्राम प्रति एकड़ उपयोग करना चाहिए। फसलों के जीवन चक्र में 2 बार महागुरु का उपयोग करने से पैदावार में अधिक वृद्धि को देखा गया है।
महागुरु का उपयोग: सभी प्रकार सब्जियों में, गेंहू, मक्का, सोयाबीन, चना, धान, आलु, मिर्च, टमाटर, प्याज, तम्बाकू, सरसों, मूँगफली, पुदीना, गन्ना और सभी प्रकार की फसलों के लिए उपयोग किया जा सकता है।
उपयोग विधि: जमीन उपचार हेतु 500 ग्राम प्रति एकड़ किसी भी खाद के साथ मिलाकर कर सकते हैं। बीज उपचार के लिए महागुरु की 2 से 2.5 ग्राम मात्रा को 25 से 50 मिली, पानी में मिलाये अब एक किलो बीज पर उसका लेप लगाये और बीजों को छाव में सुखाकर उसी दिन खोये। छिड़काव हेतु महागुरु की 1 से 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल के बाद से अंकुरण से 20-25 दिन बाद से 15 से 20 दिन के अंतराल से 2-3 छिड़काव करें।
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