हमने यह पाया है कि अनेक जैविक किसान केवल एक फसल जैसे धान, गेहूँ, गुड़ आदि की मार्केटिंग तो करते है परन्तु उन्हें बेचने के लिए ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है।
यदि किसान प्रोड्यूसर कंपनी / स्वयं सहायता समूह / प्राइवेट लिमिटेड के रूप में संगठित होकर ग्राम स्तर पर विविध फसलों की सफाई, ग्रेडिंग, आर्कषक पैकिंग, ब्रांडिंग करके सीधे उपभोक्ताओं को बेचते है तो उसे एक पहचान मिलती है । उत्पाद का स्वरुप बदलने से ही उसे अधिक दाम मिलेंगे और उपभोक्ताओं का किसानों पर विश्वास बढ जाता ह और प्रक्रिया पारदर्शी हो जाती है ।
आज अनेक किसान स्वयं या सामुहिक रुप से खुद का आटा, दलिया, मसालें आदि को सीधे उपभोक्ताओं को उत्पाद बेचने का सफल कार्य कर रहें हैं। इस कार्य में सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि किराना दुकान की तरह एक ही छत के नीचे उपभोक्ताओं को सारी वस्तुएं मिल जाती है। आज कुछ किसान उत्पादक कम्पनी के माध्यम से आज अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में निर्यात करके ज्यादा लाभ कमा रहें है।
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