किसान भाइयों को परम्परागत कृषि को अपनाना होगा तभी आने वाली पीढ़ी को एक सुखद और खुशहाल जीवन मिल पाएगा। प्राचीन काल से ही भारत जैविक आधारित कृषि प्रधान देश रहा है। सदियों से विभिन्न प्रकार के उर्वरक उपयोग होते आए हैं जो पूर्णतः गाय के गोबर और गोमूत्र पर आधारित थे। उसी प्रकार विभिन्न प्रकार के तरल जैविक उर्वरकों आज परम्परागत रूप से उपलब्ध हैं।

ताजा गोबर :- 5 kg
गौमूत्र :- 3 लीटर
गाय का दूध :- 2 लीटर
गाय का दही :- 2 लीटर
गाय का घी :- ½ kg
पंचगव्य का अर्थ है पंच+गव्य अर्थात गौमूत्र, गोबर, दूध, दही, और घी के मिश्रण से बनाये जाने वाले पदार्थ को पंचगव्य कहते हैं। प्राचीन समय में इसका उपयोग खेती की उर्वरक शक्ति को बढ़ाने के साथ पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता था। पंचगव्य एक अत्यधिक प्रभावी जैविक खाद है जो पौधों की वृद्धि एवं विकास में सहायता करता है और उनकी प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाता है।

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