जैविक कृषि का महत्व विश्वस्तर पर तीव्र गति से बढ़ रहा है। जैसे–जैसे उपभोक्ता की और से जैविक उत्पादों की मांग बढ़ती जा रही है। वैसे–वैसे जैविक उत्पादों की विश्वनीयता पर भी प्रश्न किये जा रहे हैं।
विदेशों में जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग को देखते हुए हमारे देश में व्यवसायिक स्तर पर अनेक जैविक खेती किये जा रहे हैं। कई फसलों जैसे कपास, मिर्च, चाय, सोयाबीन आदि का जैविक प्रमाणित क्षेत्रफल बढ़ रहा हैं। जैविक फसलों के विपणन हेतु प्रमाणीकरण आवश्यक है।
जैविक प्रमाणीकरण का महत्व :-
- गुणवता नियंत्रण
- उपभोक्ता में विश्वास
- उत्पादक में विश्वास हेतु
- देश/विदेश में जैविक विपणन बढ़ाने हेतु
आंतरिक नियंत्रण प्रणाली में आवश्यक दस्तावेज़
- कृषकों का सहमति पत्र
- किसान डायरी – जिसमें कृषक की आधारभूत जानकारी, उपयोगिता आदानों का विवरण, बोनी तिथि, पशुपालन, पौध-पौषण, किट रोग नियंत्रण, कटाई, उत्पादन आदि जानकारियाँ रहती हैं।
- खेत का नक्शा जिसमें खेत की स्थिति, पड़ोसी कृषकों का विवरण, फसल विवरण आदि।
- निरीक्षण पत्रक।
- प्रशिक्षण रिकार्ड/भ्रमण रिकार्ड।
- मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट।
- जैविक मानक जिसके आधार पर खेती की जा रही हैं।
0 Comments