मेटाराइजियम की क्रियाविधि :-

जब मेटाराइजियम एनीसोप्ली के बीजाणु जैसे ही कीट के संपर्क में आते हैं, तो उनके आवरण से चिपक जाते हैं एवं एक उचित तापमान और आर्द्धता होने पर बीजाणु अंकुरित हो जाते हैं| इनकी अंकुरण नलिका कीटों के श्वसन छिद्रों Read more…

मेटाराइजियम:-

मेटाराइजियम एनिसोप्ली फफूंद पर आधारित जैविक कीटनाशक है| मेटाराइजियम एनिसोप्ली 1 प्रतिशत डब्लू पी और 1.15 प्रतिशत डब्लू पी के फार्मुलेशन में उपलब्ध है| मेटाराइजियम एनिसोप्ली, को पहले एंटोमोफ्थोरा एनीसोप्ली कहा जाता था| यह मिट्टी में स्वतंत्र रूप से पाया Read more…

ट्राइकोडर्मा का प्रयोग मृदा उपचार मे :-

ट्राइकोडर्मा का उपयोग मृदा उपचार मे किया जाता है इसके लिए 1 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर को 25 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद मे मिलाकर एक सप्ताह तक छायादार स्थान पर रखकर उसे बोरे से ढक दीजिये। करीब एक सप्ताह Read more…

पानी मे ट्राइकोडर्मा को कैसे मिलाएँ :-

200 लीटर पानी मे 2-3 किलोग्राम गुड ले लीजिये एवं उसमे 1 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा मिला लीजिये। 1 सप्ताह के बाद इस मिश्रण का रंग मटमैला होने लगता है एवं इस मिश्रण के ऊपर हमेशा छोटे -छोटे बुलबुले बनने लगते हैं। Read more…

सड़े हुए गोबर खाद मे ट्राइकोडर्मा की तैयारी :-

50-70 किलोग्राम सड़े हुए गोबर के खाद या कोंपोस्ट मे 1 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर मिला दीजिये। इस मिश्रण को किसी छायादार जगह या पेड़ के नीचे एक गीले बोरे से ढ़क दीजिये ताकि इसमे एक सप्ताह तक नमी बना रहे Read more…

ट्राइकोडर्मा के फायदें :-

ट्राइकोडर्मा हमारे फसल को मृदा जनित और बीज जनित रोगो से बचाता है । यह रोगकारक सूक्ष्म जीवों की वृद्धि को रोकता है एवं उन्हे मारकर पौधों को रोगो से बचाता है । यह पौधों मे अंटिओक्सीडेंट गतिविधियों को बढ़ाने Read more…

ट्राइकोडर्मा का प्रयोग क्यों करें :-

आज-कल हमलोग खेतों मे उत्पादन की पैदावार को बढ़ाने के चक्कर मे काफी ज्यादा मात्रा मे रासायनिक खादों का उपयोग करते हैं ,जिसके कारण हमारी खेतों की उर्वरक शक्ति काफी ज्यादा मात्रा मे कम हो गयी है। इसके अलावा खेतों Read more…

ट्राइकोडर्मा कैसे काम करता है :-

ट्राइकोडर्मा मिट्टी मे जाने के बाद अपने कवको को एक जाल के जैसे फैला देता है एवं पौधे के जड़ों के क्षेत्र मे कवक का जाल बना देता है । इसके कारण मिट्टी मे उपस्थित अन्य हानिकारक कवक और बैक्टीरिया Read more…

ट्राइकोडर्मा:-

ट्राइकोडर्मा एक मृतजीवी कवक है , जो मिट्टी और कार्बनिक अवशेषों पर पाया जाता है । यह एक जैव-फफूंदनाशी है एवं विभिन प्रकार की कवकजनित बीमारियों से पौधे को बचाने मे मदद करता है। इसकी दो प्रजातियाँ होती है :- Read more…

भेड़ अथवा बकरी लेंडी की खाद :-

औसतन इस खाद में 3 प्रतिशत नाइट्रोजन, 1 प्रतिशत फॉस्फोरस एवं 2 प्रतिशत पोटॉश की मात्रा होती है। पके खाद को चूरा कर बोनी के समय देने पर अथवा पौधे के पास देने से उत्तम परिणाम मिलते है। फसल की Read more…