मिश्रित खेती के लाभ :-

जब एक ही समय में एक ही खेत पर कई फसलें एक साथ बोई तथा उगायी जाती हैं इसे मिश्रित खेती कहते हैं| मिश्रित खेती विभिन्न पौधों के संरक्षण में मददगार होती इससे मिट्टी के स्वास्थ्य/गुणवत्ता में सुधार होता है| Read more…

केंचुआ किसान का मित्र क्यों?

जैविक खेती में पोषक तत्वों को उपलब्ध कराने तथा मिट्टी को भुरभुरी बनाकर, हवा का संवहन बढ़ाने में केंचुआ का महत्वपूर्ण योगदान होता है| मुख्यतः केंचुओं को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है जैविक कचरा खाने वाले तथा मिट्टी Read more…

जैविक खेती कैस करें :-

जैविक खेती को देशी खेती भी कहा जाता है। मुख्य रूप से organic farming प्रकृति एवं पर्यवरण को संतुलित रखते हुए की जाती है। इसके अंतर्गत फसलों के उत्पादन मे रासायनिक खाद कीटनाशक का उपयोग नहीं किया जाता है। इसके Read more…

एमिनो एसिड से मिट्टी में सुधार कर सकते हैं?

मृदा समुच्चय के गठन को बढ़ावा देना: मृदा समुच्चय मृदा संरचना की मूल इकाइयाँ हैं। अमीनो एसिड का उपयोग मिट्टी के भौतिक और रासायनिक गुणों को बहुत अधिक नमक सामग्री, बहुत मजबूत क्षारीयता, मिट्टी के कणों के उच्च फैलाव और खराब Read more…

ह्यूमिक एसिड के लाभ:-

इसका सबसे महत्वपूर्ण कार्य मिट्टी को भुरभुरी बनाना है जिससे जड़ों का विकास अधिक हो सके। ये प्रकाश संलेषण की क्रिया को तेज करता है जिससे पौधे में हरापन आता है और शाखाओं में वृद्धि होती है। पौधों की तृतीयक Read more…

Fulvic acid (फुलविक एसिड):-

फुल्विक एसिड सेल डिवीजन और बढ़ाव को बढ़ाता है, रूट फसलों को स्पष्ट लाभ के लिए रूट ग्रोथ को बढ़ाता है. फुलविक एसिड मिट्टी में प्रदूषकों को डिटॉक्सिफ़ाई कर सकता है, जहर को अवशोषित कर सकता है और विषाक्त पदार्थों Read more…

एमिनो एसिड से मिट्टी में सुधार कर सकते हैं?

मृदा समुच्चय के गठन को बढ़ावा देना: मृदा समुच्चय मृदा संरचना की मूल इकाइयाँ हैं। अमीनो एसिड का उपयोग मिट्टी के भौतिक और रासायनिक गुणों को बहुत अधिक नमक सामग्री, बहुत मजबूत क्षारीयता, मिट्टी के कणों के उच्च फैलाव और खराब Read more…

जैविक खेती के प्रकार :-

देशी खेती:- इसमें देशी जड़ीबूटियों के साथ देशी गाय के गोबर से बने खाद के अलावा मटका खाद और जीवामृत का भी प्रयोग होता है! कुदरती खेती:- यह खेती संपूर्ण प्राकृतिक रूप से की जाती है। खेत में एक ही Read more…

जैविक खेती का उद्देश:-

स्वस्थ और पौष्टिक भोजन का लगातार और पर्याप्त उत्पादन। फसलों को इस तरह से उगाना कि फसलों के विकास को उनके सहज व्यवहार और परिस्थितियों में हस्तक्षेप किए बिना बनाए रखा जाए।  प्रदूषण, मिट्टी के कटाव और मिट्टी के क्षरण Read more…