देश में आज अनेक स्थानों पर किसानों की आत्म हत्या का समाचार सुनने को, पढ़ने को मिलता है। इसके पीछे कारण किसान का कर्ज में डूबना है।
कर्ज का कारण हमारी खेती में ट्रेक्टर, डीजल, बीज, खाद आदि बाजार से खरीद कर लाना। इस प्रकार खेती पर लागत अधिक लगाना और उसके बदले उपज का उतना दाम नहीं मिलना हैं।
किसान अपने खेत में रसायनिक खाद व कीटनाशक का निरंतर काम लेता रहता है जिससे जमीन की उर्वरा शक्ति समाप्त हो जाती है। जमीन बंजर हो जाते है। कीटनाशक का जहर जो छिड़कता है फसल के माध्यम से अपने ही खाने के अन्न में आ रहा हैं। भैंसों को दूध दुहने के लिए लगने वाला सस्ता 50 पैसे वाला इंजेक्शन भैंस के दूध से अपने अंदर आ रहा है जिससे कैंसर जैसी बीमारियाँ हो रही हैं।
एक गाय और एक नीम के पेड़ से दस एकड़ जमीन में अच्छी तरह से खेती कर सकते हैं। इसलिए हमें हर घर में देशी गाय रखनी चाहिए। जो बछड़े देगी उससे खेती करेंगे। आज जयपुर में 2 बैलों का ट्रेक्टर बनाया है जिसमें 5 हल हैं। दो टायर बाजू में लगे हैं ऊपर किसान के बैठने की कुर्सी लगी है पीछे बिजाई की टंकी लगी है। एक दिन के ट्रेक्टर का काम बैलों का ट्रेक्टर दो दिन में पूरा कर देता है और साथ में गोबर व मूत्र देते हैं जो हमारे ईंधन खाध व कीट नाशक में काम आते हैं।
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