भूमि :-
हमारे शरीर निर्माण पंच तत्वों में एक तत्व भूमि है। अनंत जीवन का आत्मा ही भूमि है। मिट्टी के बिना विश्व में किसी भी जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है, इसलिए हमारे देश में भूमि को माँ का दर्जा दिया गया हैं।
भूमि का निर्माण हजारों वर्षों की प्राकृतिक प्रक्रिया से जल, वायु, तापक्रम आदि के द्वारा चट्टानों के क्षय से हुआ हैं। चट्टानें टूटकर छोटे पत्थर में बदलती हैं, छोटे पत्थर घिसकर मिट्टी बनती है। हमें यह समझना होगा की हर भूमि को बनाने वाला मातृ पदार्थ अर्थात पत्थर या चट्टान हजारों टन के रूप में खेतों के नीचे मौजूद है। भूमि में पोषक तत्व की सांद्रता गहराई के साथ बढ़ती जाती हैं।
भूमि के ऊपर की 6 इंच या 15 से.मी. की परत में जीवांश पदार्थ होते हैं जो वास्तव में भूमि की आत्मा है, यहां पर सक्रीय जीव पौधों को पोषक तत्व प्रदान करते हैं। इस प्रकार भूमि का ऊपरी और निचली गहराई वाला हिस्सा दोनों ही पौध पोषक का आधार हैं।
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