किसान मित्रों,  सिंचाई जल की गुणवत्ता फसलोत्पादन को बहुत प्रभावित करती है। यह जल में विलेय कैल्शियम,  मैग्नीशियम,  सोडियम,  पोटेशियम,  क्लोराइड,  कार्बोनेट आदि लवणों की उपस्थिति पर निर्भर करती है। इन विलेय लवणों के सांद्रण को विद्युत चालकता के रूप में व्यक्त किया जाता है। सिंचाई जल में कुछ तत्वों जैसे लिथियम,  फ्लोरीन,  आर्सेनिक तथा बोरॉन की अधिक मात्रा इसे विषैला बनाती है। शुष्क और अर्धशुष्क क्षेत्रों में भूमिगत जल प्रायः लवणयुक्त होने से इसकी विद्युत चालकता तथा सोडियम का अनुपात अधिक होता है। लवणीय जल के कारण बीजों का अंकुरण देर से या कम होता है, पौधों को पोषक तत्व एवं जल आसानी से नहीं मिल पाता है, फसल की बढ़वार धीमी गति से होती है।

लवणीय जल की समस्या होने पर हमें निम्न उपाय करने होंगे :

  • लवणीय जल सहनशील फसलों एवं उनकी प्रजातियों को लगायें। क्षेत्रीय सुधारित बीजों का उपयोग करें।
  • केवल जैविक खादों,  हरी खादों का उपयोग करें।
  • सतही सिंचाई,  ड्रिप सिंचाई पद्धति अपनाएं।
  • जिप्सम (200 किलो प्रति एकड़) उपयोग करें।
  • लवणता कम करने के फिल्टर लगायें।

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