भूमि चिंतन : –

भूमि :- हमारे शरीर निर्माण पंच तत्वों में एक तत्व भूमि है। अनंत जीवन का आत्मा ही भूमि है। मिट्टी के बिना विश्व में किसी भी जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है, इसलिए हमारे देश में भूमि को माँ का दर्जा दिया गया हैं। भूमि का निर्माण हजारों Read more…

बीज चिंतन: –

बीज एक ऐसा पादप भाग है जिसका उपयोग बोने के लिए किया जाता हैं, जिसमें उस पादप की संतति तैयार होती है बीज कहलाता हैं। पुरानी कहावत है जैसा बोवोगे, वैसा काटोगे।   स्वस्थ बीज – स्वस्थ वनस्पति – स्वस्थ वातावरण – स्वस्थ जीव जगत प्राचीन काल में किसान चयन Read more…

पशुपालन चिंतन: –

पशुओं और मनुष्यों का साथ आज से लगभग 12 से 14 हजार वर्ष पूर्व शुरू हुआ। इस काल में श्वान, भेड़, बकरी और शुकर पालन के प्रमाण मिलते हैं। 5 से 6 हजार वर्ष पूर्व घोड़ों/गधों का उपयोग माँस और परिवहन के लिए किया जाने लगा। इसी समय भारत और Read more…

वृक्ष चिंतन:-

किसान मित्रों, वृक्ष प्रकृति के सहअस्तित्व के घटकों में महत्वपूर्ण घटक है। इसके बारे में हमारे प्राचीन ग्रंथ अथर्ववेद के पृथ्वीसूक्त में कहा गया है कि वृक्ष और वनसपति, मनुष्यों कि तरह ही पृथ्वी का पुत्र हैं। हमारे देश मे वृक्षों कि पूजा प्राचीनकाल से ही की जा रही है। Read more…

विविधता युक्त खेती : –

खेजड़ी उगाना :- रेगिस्तान की जमीन में संकरित बेर एवं संकरित खेजड़ी उगाएँ, 4 वर्ष बाद फल देंगे। खेत की सीमा पर लसुड़ा (गुंदा) उगाए, यदि बीच में हल जोतना है तो बीघा में खेजड़ी के 64 पेड़ अन्यथा 100 पेड़ उगा दें। जहाँ संभव है औषधिय पौधे लगाए। फलदार Read more…

फसल चक्र : –

खेती लम्बे समय तक चलने वाला उधोग है जिसमें जमीन फैक्टरी है जीवाणु कर्मचारी है खाद आदान और फसल उत्पाद है यह है आज के मशीनी युग में समझाने वाली परिभाषा, असली परिभाषा है जो प्रकृति ने बनाई है। अर्थात जंगल (प्रकृति के खेत) में जिस प्रकार उत्पादन होता है Read more…

वर्षा जल क्यों महत्वपूर्ण है ?

वर्षा जल सर्वोतम होता है क्योकि यह शुद्ध होता है और सभी सामाजिक, राजनैतिक नियम और बंधनों से मुक्त होता है । वर्षा का जल पेड़,पौधों और फसलों के लिए वरदान के समान होता है क्योकि यह न ही सिर्फ फसलों को एक बढ़िया बढ़ावा देता है बल्कि इससे फसलों Read more…

प्राकृतिक खेती:-

देश में आज अनेक स्थानों पर किसानों की आत्म हत्या का समाचार सुनने को, पढ़ने को मिलता है। इसके पीछे कारण किसान का कर्ज में डूबना है। कर्ज का कारण हमारी खेती में ट्रेक्टर, डीजल, बीज, खाद आदि बाजार से खरीद कर लाना। इस प्रकार खेती पर लागत अधिक लगाना Read more…

फलों का रोग एवं कीट निदान : –

केला में एन्थ्रेकनोज :- इस रोग से फल सिकुड़कर सूख जाता है। आम तथा बेर में एन्थ्रेकनोज :- यह रोग नव पल्लवों, पुष्पों को प्रभावित करता है। इससे प्रभावित टहनियाँ सूखने लगती हैं। पाउडरी मिल्ड्यू या सफेद चूर्णी रोग :- इसकी रोकथाम के लिए आधा लीटर दुध को 16 लीटर Read more…

फसलों के प्रमूख कीट:-

दीमक :- सुखी जमीन पर अधिक प्रकोप दिखता, तथा जडों को नुकसान पहुंचाते हैं। वृक्षों के तनों पर बोर्डों पेस्ट लगाने से इसका नियंत्रण होता है। खेत में जैविक कार्बन अधिक हो तो इसका प्रकोप कम होता है मेटरिजियम, बेवेरिया बेसियाना दीमक को नियंत्रण मे रखते हैं। यह भी प्राकृतिक Read more…