पानी मे ट्राइकोडर्मा को कैसे मिलाएँ :-

200 लीटर पानी मे 2-3 किलोग्राम गुड ले लीजिये एवं उसमे 1 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा मिला लीजिये। 1 सप्ताह के बाद इस मिश्रण का रंग मटमैला होने लगता है एवं इस मिश्रण के ऊपर हमेशा छोटे -छोटे बुलबुले बनने लगते हैं। आरिजिनल ट्राइकोडर्मा की यही पहचान होती है। अब यह कल्चर Read more…

सड़े हुए गोबर खाद मे ट्राइकोडर्मा की तैयारी :-

50-70 किलोग्राम सड़े हुए गोबर के खाद या कोंपोस्ट मे 1 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर मिला दीजिये। इस मिश्रण को किसी छायादार जगह या पेड़ के नीचे एक गीले बोरे से ढ़क दीजिये ताकि इसमे एक सप्ताह तक नमी बना रहे । प्रतिदिन इसके ऊपर नजर बनाए रखें। अगर इसमे नमी Read more…

ट्राइकोडर्मा के फायदें :-

ट्राइकोडर्मा हमारे फसल को मृदा जनित और बीज जनित रोगो से बचाता है । यह रोगकारक सूक्ष्म जीवों की वृद्धि को रोकता है एवं उन्हे मारकर पौधों को रोगो से बचाता है । यह पौधों मे अंटिओक्सीडेंट गतिविधियों को बढ़ाने मे मदद करता है। यह मिट्टी मे कार्बनिक पदार्थों के Read more…

ट्राइकोडर्मा कैसे काम करता है :-

ट्राइकोडर्मा मिट्टी मे जाने के बाद अपने कवको को एक जाल के जैसे फैला देता है एवं पौधे के जड़ों के क्षेत्र मे कवक का जाल बना देता है । इसके कारण मिट्टी मे उपस्थित अन्य हानिकारक कवक और बैक्टीरिया को अपने वंश को बढ़ाने से रोकता है, एवं यह Read more…

ट्राइकोडर्मा:-

ट्राइकोडर्मा एक मृतजीवी कवक है , जो मिट्टी और कार्बनिक अवशेषों पर पाया जाता है । यह एक जैव-फफूंदनाशी है एवं विभिन प्रकार की कवकजनित बीमारियों से पौधे को बचाने मे मदद करता है। इसकी दो प्रजातियाँ होती है :- 1. ट्राइकोडर्मा विरिडी 2.ट्राइकोडर्मा हर्जियानम मृदा उपचार के प्रक्रिया मे Read more…

भेड़ अथवा बकरी लेंडी की खाद :-

औसतन इस खाद में 3 प्रतिशत नाइट्रोजन, 1 प्रतिशत फॉस्फोरस एवं 2 प्रतिशत पोटॉश की मात्रा होती है। पके खाद को चूरा कर बोनी के समय देने पर अथवा पौधे के पास देने से उत्तम परिणाम मिलते है। फसल की आवश्यकता अनुसार इसे 1-3 टन प्रति एकड़ दिया जा सकता Read more…

पशु समाधि खाद :-

प्राकृतिक रूप से मृत गाय/बैल / अन्य पशु के शरीर को खेत के किसी हिस्से में वांछित लंबाई, चौड़ाई एवं गहराई के गड्ढे में रख देते है। इस गड्ढे में मृत शरीर पर 7 किलो चूना तथा 10 किलो खड़ा नमक डालकर मिट्टी से एकवर्ष के लिए ढांक देते है। Read more…

इल्ली नियंत्रण के तरीके:-

5 लीटर देशी गाय के मूत्र में 5 किलो नीम के पत्ते डालकर 10 दिन तक सड़ायें, बाद में नीम की पत्तियों को निचोड़ ले। इस नीमयुक्त मिश्रण को छानकर 150 लीटर पानी में घोल बनाकर समान रूप से एक एकड़ में छिड़काव करें। इससे इल्ली एवं माहू का प्रभावी Read more…

दूध से बीजोपचार

400 ग्राम टमाटर के बीज को एक कपड़े में बाँधकर छोटी थैली जैसे बनाना बनाने के बाद 425 मि.लि. पानी में 75 मि. लि. दूध मिला लीजिये। उसके बाद इस घोल को 6 घण्टे भिगोके रखना चाहिए 6 घण्टे के बाद इस थैली को निकालकर बीज को खेत में बोना Read more…

पारंपरिक बीज तैयार करना

पारंपरिक बीज तैयार करने के लिए सबसे पहले अपने खेतों की फसल में अच्छा उत्पाद देने वाली फसल संग्रहण कीजिये और उसके बाद प्राकृतिक तरीकों से गुणवत्ता युक्त बीज तैयार किजिये ताकि स्वावलम्बी बीज से कंपनियों के महगे बीजों से बचा जा सके। विधि:- वटवृक्ष (बढ़) के पेड़ के नीचे Read more…