बीजों से तेल निकालने के बाद बचा ‘भाग, खली कहलाता है। ये खलियां भी जैविक पौध पोषण में सहयोगी होती हैं। खलियों में नाइट्रोजन के अलावा कुछ मात्रा में फॉस्फोरस और पोटॉश भी होता है। इनके जड़ क्षेत्र में उपयोग से मित्र जीवाणु संख्या बढ़ती है। इन्हें 200 किलो प्रति एकड़ की दर से उन्नत खाद में मिलाकर पौधे के पास देना चाहिए।

खलियाँ जैसे नीम, अरंडी, महुआ, करंज, सरसों, सूरजमुखी आदि का उपयोग लाभदायक है।


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