सुबबूल (ल्यूसिना) :-यह एक सस्ता एवं गाय के लिए एक स्वादिष्ट चारा है। जब पौधे 1.5 मीटर के हो जाएँ तो जमीन से 30 सेमी छोड़कर चारा काट लिया जाता हैं।

गिरिपुष्प (ग्लाइरिसिडिया) :- यह एक तरह के दलहनी फसल है। ग्लाइरिसिडिया नाम के अर्थ मेन ही चूहा मारने वाला होता है। इसकी पतियों मेन कोयुमारिन है। साथ-साथ यह फफूंदरोधी जैसे झुलसा (ब्लाईट) रोग का निवारक है। इसकी बृद्धि भी टेगी से होती है, 8 माह मेन 3 मीटर की ऊँचाई ले लेता है। इसी प्रकार टेपरोसिया (शरपुंखा) को भी मेढ़ पर लगान हैं।

सहजन / मुनगा / सुरजन :-  यह मनुष्य, पशु, पौधे तीनों के लिए ही अत्यंत लाभकारी वृक्ष है। गाय के चारा के लिए सहजन बहुत ही प्रसिद्ध हैं। इसके फूल, फल, पतियां आदि भोजन के रूप में प्रचलित हैं। बाँर्डरक्राप या इंटर क्राप विधि में मुनगा प्रचलित हैं।

नीम तथा कारंज :- हर किसान को नीम का पेड़ जरूर लगाना चाहिए। इसकी फली जो खेत में गिरती है तो इसमें मौजूदा “ऐइजडीरेक्टिन”, “निंबोलीन”, निबीन आदि किटरोधक के रूप में काम करते हैं।


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