माहू

वयस्क और शिशु दोनों पत्तियों के निचले भाग पर झुंड मे रहकर रस चूसते हैं जिसमे पत्तियां पीली पड़ जाती है। पत्तियों पर काली फंफूड उग जाती है । यह किट विषाणु के लिए वाहक कम करता है ।

सफ़ेद मक्खी / मच्छर

शिशु एवं वयस्क अंडाकार हरे सफ़ेद रंग के होते है । पत्तियाँ रोगग्रस्त दिखती है । यह किट विषाणु रोग का वाहक होकर इसे फैलता है ।

हरा मच्छर

शिशु एवं वयस्क दोनों हरे रंग के एवं छोटे आकार के होते हैं । पत्तियों के निचली सतह से रस चूसते हैं । इनके द्वारा विषाणु स्थानांतरित होता है । ग्रसित पत्तियां ऊपर की तरफ मूड जाती है जो बाद में पीली पड़ जाती है एवं उन पर जले हुये धब्बे बन जाते हैं । इनका जीवन चक्र 2 सप्ताह में पूरा होता है ।

माइट

छोटे मकड़ी जैसे किट होते हैं जो अधिक संख्यायों मे पत्तियों के नीचे समूह मे रहते हैं । शिशु एवं व्यसक पत्तों से रस चूसते हैं । प्रभावित पत्तियां किनारों मे मुड़कर उल्टी नौका जैसे बन जाती है । छोटी पत्तियां दाँतेदार होकर गुच्छेदार गहरे धूसर रंग की हो जाती हैं तथा फूल आने बंद हो जाते हैं । अधिक प्रकोप होने पर फल कड़े एवं सफ़ेद धारिधार हो जाते हैं ।

तेला / थ्रिप्स

      किट बहुत छोटे पीले रंग के होते हैं । ये पत्तियों के निचले हिस्सों से रस चूसते हैं, जिससे पत्तियां सिकुड़कर छोटी रह जाती हैं । पत्तियां सीधी नौका के आकार की दिखती है । यह किट विषाणु रोग फैलता है ।

मिली बग

इसके प्रौढ़ व शिशु पत्तियों, तानों ,कलियों का रस चूसते हैं । प्रभावित भाग पर काली फंफूड विकसित हो जाती है ।

इपीलेचना बीटल

इस किट की व्यसक व इल्ली हानिकारक होते हैं । यह पौधों को खाते हैं।  व्यसक गुलाबी भूरे रंग का ऊपर से अर्ध चंद्राकार होता है । इल्ली पीली रंग की होती है।

पत्ती सुरंग छेदक

व्यसक छोटे एवं नाजुक काले एवं पीले रंग के होते है । लार्वा सफेद रंग के जो सिर की तरफ से पीले रंग के होते हैं मादा अपने नुकीले अंग को पत्तियों के अन्दर प्रवेश कर देती है । अंडे से उत्पन्न लार्वा पत्तियों को उत्तकों को टेड़े –मेडे आकृति में खाते है । पत्तियों पर सफेद रंग की चमकदार धारियों में छेदकर कोशिका रस को चूस लेते हैं ।

फल मक्खी

यह कद्दू जाती की सब्जी फसलों मे फलों पर आक्रमण करने वाला किट है । इसमे मैगट छोटे फलों में अधिक नुकसान पहुँचते है । इसके प्रकोप को केरले व तोराई में आसानी से देखा जा सकता है । वयस्क नर मक्खियों का नियंत्रण करके प्रकोप को कम किया जा सकता है । वयस्क मक्खी का शरीर लाल भूरे रंग का पंख पारदर्शक एवं चमकदार जिन पर पीले भूरे रंग की धारियाँ होती है ।

चने की इल्ली

यह सर्वभक्षी इल्ली भूरे, कत्थई ,पीली एवं हरे रंग की होती है । यह फसल की प्रत्येक अवस्था में आक्रमण कर भारी नुकसान पहुँचती है । इसकी सूंदियाँ कोमल पत्तियों और फलों पर आक्रमण करती है और फिर फल में छेड़ करके फल को ग्रसित करती है ।

काली इल्ली

नवजात इल्लियाँ समूह में रहकर पत्तियों को खाती है जिससे पत्तियां जाली जैसी दिखने लगती हैं । 3-4 दिन बाद इल्लियाँ बड़ी होकर समूह से अलग होकर पत्तियों को खाने लगती है । इल्लियाँ मटमैले हरे रंग की होती हैं । जिसके शरीर पर पीले हरे नारंगी रंग की धारियाँ होती है । उदर के दोनों ओर काले धब्बे होते हैं।

बाल वाली इल्ली

इल्लियाँ के शरीर पर बड़े-बड़े बाल होते हैं नवजात इल्लियाँ मटमैले पीले रंग की एवं समूह मे रहकर पत्तियों को खाती है जिससे पत्तियां जाली जैसी दिखने लगती हैं । 8-10 दिन बाद इल्लियाँ लाल भूरे रंग की बड़ी होकर समूह से अलग होकर पत्तियों को खाने लगती है ।

हरी अर्धकुंडलाकर इल्ली

यह हरे रंग की होती है । यह पतियों को खुरचकर खाती हैं । जिससे खाये हुये भाग पर सफेद झिली रह जाती है ।

सफेद ग्रब / लट

यह किट इल्ली सफेद या स्लेटी रंग का होता है । इसकी शरीर मुदा हुआ व सिर भूरे रंग का होता है । इसकी 6 विकसित टंगे होती हैं । यह बहुभक्षी किट है । यह जमीन के अन्दर रहकर पौधे की जड़ों को छती पहुंचता है । इसके अतिरिक्त आलू मे उथले गोलाकार छेड़ कर देता है । जिसके कारण कन्दो का बजार भाव कम हो जाता है ।

कटुआ इल्ली 

यह किट नन्हें या उग्ने वाले पौधों के बीज पत्रों एवं तनों को कट देते हैं । जिससे खेत में पौधों की संख्या कम हो जाती हैं । यह इल्ली रात्रीचर इल्ली होती है ।

दीमक

यह समूह में रहने वाले जमीनी किट हैं। जो फसल की जड़ों पर पलते हैं और पौधों को नष्ट कर देते हैं । सूखे ज़मीनों में इसका प्रकोप अधिक दिखता है ।

पंपकिन बीटल

यह पत्तियों को खाकर पौधों को नष्ट करता है।