खरपतवार :-
किसान खरपतवार (घास) से बहुत ही ज्यादा परेसान है, क्योंकि जैविक में आप हर्वीसाईड (खरपतवारनाशी) का स्प्रे नहीं कर सकते, और करना भी नहीं चाहिए | मोथा, दुबघास, पत्थरचट्टा, गाजर घास, बथुआ आदि खरपतवार के मुख्य उदाहरण हैं | कुछ ऐसे भी हैं, जो खेत मे रहने से मित्र कीटें आते हैं, इन्हें खेत मे रहने दें | जैसे घमरा, इसे जयंति वेदा (संस्कृत), त्रिघारा (बंगला) के नाम से जाना जाता है |
खरपतवार प्रकृति से लड़कर स्वय बदते हैं तो उनमें पोषण लेने के क्षमता मिट्टी से बहुत होती है | इसलिए इन्हे कभी जलाएँ नहीं | ऐसे खरपतवार जिसमे बीज आ गये हों उसे गाड्ढे मे डाल दें और ऊपर से गोबर की परत डाल दें |
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